Tuesday, December 25, 2018

Best Pandit for Kaal Sarp Dosh in Ujjain

So many of us are ask to our friends and family members who visited earlier Ujjain about Kaal Sarp Dosh Puja in Ujjain, but unfortunate they all not know about this, because only a few of them participated in this Puja at Ujjain.

But the question is very important, how would you find best pandit, as of now every pandit having their website over the internet, most of them are in their native language means in hindi that we all can understand, so how do you get the wisdom that this Pandit Ji is best for the Puja and other activities in Ujjain.

So, here I am going to share some personal experience of Ujjain's pandit with their websites, I seen more than 10 websites of Ujjain's Pandit who can perform the Kaal Sarp dosh Puja in Ujjain and even Mangal Puja in Ujjain, as per their websites.

When I visited their website I collected some information [1] education [2] age [3] family background [4] total experience of puja [5] education from which institute etc, on the basis of these you can understand who is best, and above the all I seen the aura of the face that play a very important role in Puja

This is my perception, you can create your own list of judgement the Pandit ji for Puja

Know a list of various pujan ; Kaal sarp Puja Ujjain, kaal sarp dosh puja in ujjain, kaal sarp dosh puja ujjain, kaal sarp puja in ujjain

Wednesday, December 19, 2018

ujjain temple mangal nath history in hindi

उज्जैन के mangalnath मंदिर के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, यह मंदिर भौगोलिक द्रृस्टि से मकर रेखा जो की मध्य प्रदेश से गुजरती है के कर स्थित है।

मंगलनाथ मंदिर के निकट ही छिप्रा नदी बहती है, यह मंदिर एक माजिला भवन के ऊपर स्थित है, इस मंदिर  ही भूमाता का मंदिर भी है, जिसकी परिक्रमा करने से पृथ्वी की परिक्रमा करने का पुण्य प्राप्त होता है, और इसी मंदिर के पास में अन्य मंदिर भी है जिनका दर्शन करना सुखद है।  (Mangal Puja Ujjain)

मंगलनाथ मंदिर में पूजन की विधि बहुत ही सरल है, जिसे मंदिर के बहार प्रसाद की दुकानों पर बैठने बाले भी बता देंगे, जैसे ही आप पहुचेगे आपको कोई प्रसाद की दुकान वाला मधुर आवाज देगा, और एक टोकरी में फल, फूल, यंत्र, माला, इत्यादि वस्तुओ को भरकर आपको देगा साथ ही पूजन की विधि और उसके बाद किन किन वस्तुओ को अपने घर ले जाना है और क्या करना है ये भी बता देगा, इन समस्त पूजन सामग्रीओ से युक्त उस टोकरी का मूल्य होगा मात्र २५० रूपये। (मंगलनाथ पूजा उज्जैन)

अब टोकरी लेकर जैसे ही आप उस भव्य मंदिर में प्रवेश करेंगे आपको पंडित जी बाहर ही मिल सकते है जो कुछ नियम भी आपको बता देंगे, इसके बाद आप मंदिर में पुरुष और स्त्री की लाइन में अपने अनुसार लग जाए, और दर्शन करें व् सामग्री अर्पित करके श्रद्धा के साथ बाहर आ जाए। (कालसर्प दोष निवारण पूजा उज्जैन)

दान करना चाहे तो सिर्फ दानपात्र में ही करियेगा, मंदिर के बाहर आपको कुछ लोग मिलेंगे जो आपसे कुछ दान धर्म की आशा लगाए हुए बैठे होंगे, उनको निराश न करे और अपने सामर्थ के अनुसार दान अवश्य करिये, कुछ किन्नर भी आपसे दान की अपेक्षा रखते है, उनको दान देने के बाद उनका आशीर्वाद अवश्य लीजियेगा, जीवन में आनंद की प्राप्ति होगी। जय श्री महाकाल (Famous Pandit in Ujjain)

Thursday, December 6, 2018

मंगलनाथ के दरबार में भात पूजा से कैसे मंगल दोष दूर हो जाता

 वर्तमान समय में युवा वर्ग एक ऐसे वैज्ञानिक समय में मस्ती के साथ जी रहा है जिसमे शादी सिर्फ एक स्त्री पुरुष की स्वेक्षा चरिता का सम्बन्ध बना हुआ है, मतलब जब तक बनी तब तक साथ है नहीं तो अलग, क्युकी दोनों ही लोग स्वाबलंबी है, एक धन कामना सीख गया है तो दूसरा खाना बनाना, जबकि पहले  के समय स्त्री और पुरुष अपने कर्मो में सुखी थे, और किसी प्रकार का मनमुटाव होने की स्थिति में घर के बड़े बुजुर्गो की सलाह लेते थे, लेकिन अब मनमुटाव होने पर कानून की शरण लेकर अलग हो जाते है बिना सोचे की इस अलग होने से हमारे बच्चे पर क्या असर पड़ेगा।

अब इतने अति जागरूक अति विकसित मानसिकता के वैज्ञानिक युग में जीने वाले को हम उसकी कुंडली देखने या दिखाने को कह दे तो वो हमे अंधविश्वासी कहने लगते है, लेकिन सोचने की बात ये है अलग होने के दुष्परिणाम दोनों ही जानते है फिर भी उनकी जागरूकता और विकसित मस्तिक्स यहाँ काम नहीं करता है।

इस समस्या का निवारण हमारे वैदिक ज्योतिष शास्त्र में  है,हमारा ज्योतिष शास्त्र यही बताता है की सबकुछ जानते हुए भी मनुष्य क्यों गलत मार्ग पर भगता जा रहा है, उसके भगने का कारन है उसकी कुंडली में मंगल की अजीव स्थिति में होना, अब किसकी कुंडली में क्या दोष है ये तो उसकी कुंडली देखकर ही पता चलता है, फिर भी अगर पति पत्नी की अनवन एक का हमेशा दुखी रहना, एक का सदैव बीमार रहना, रोज घर में खटपट होना, किसी एक जातक के मंगली होने के लक्षण है, और इसे आप भी अपनी कुंडली में देख सकते है. (मंगलनाथ पूजा उज्जैन)

अगर आपकी कुंडली में ग्रहो की दशा के अनुसार पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें घर में मंगल हो तो ऐसी स्थिति में पैदा हुआ जातक मांगलिक कहा जाता है, और इसका सर्वोत्तम उपाय है, उज्जैन के मंगलनाथ मंदिर में पूजा, उज्जैन में पंडित रमाकांत जी एक सुविख्यात ब्राह्मण है जो मंगल भात पूजा में सिद्धहस्थ है, उनका सम्पर्क सूत्र सख्या :- 9977525580

Famous Pandit in Ujjain ,  Mangal Puja Ujjain

Thursday, November 1, 2018

कुंडली मिलान क्यों जरूरी


भारतीय संस्कृति में विवाह जीवन के एक अनिवार्य संस्कारों में से एक है। ज्योतिष शास्त्र में शादी के लिए कुंडली मिलान को बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। विवाह दो लोगों के बीच बनने वाला एक ऐसा संबंध है जो 7 जन्मों तक एक दूसरे का साथ देते हैं। हिन्दू संस्कृति में विवाह होने से पहले लड़का और लड़की का कुंडली मिलान जरूर किया जाता है। हमारे माता-पिता और बुजुर्गो के अनुसार शादी शुदा जिंदगी अच्छी तरह से बीते इसके लिए विवाह होने से पहले दोनों की कुंडली का मिलान बेहद जरुरी होता है।

[यहाँ पर पंडित रमाकांत जी का एक संक्षित परिचय देना आवश्यक है, पंडित जी उज्जैन निवासी है और वैदिक कर्मकांडो में सिद्धस्त है, द्वारा बहुत प्रकार की पूजा वैदिक विधि से सम्पन्न हुयी है एवं करवाने वाले को लाभ भी हुआ है, पंडित जी कालसर्प-दोष, अर्क विवाह, मंगल भात पूजा, पितृदोष, रुद्राभिषेक पूजा, वास्तुदोष निवारण के लिए पुरे उज्जैन में प्रसिद्द है ]

कुंडली मिलान के बिना विवाह सफल नहीं माना जाता है। कुंडली मिलान से दोनों इंसानों के रिश्तों की स्थिरता के बारे में सही जानकारी प्राप्त की जा सकती है। कुंडली मिलान के बिना एक अच्छे जीवन साथी की खोज पूरी नहीं होती। इसलिए विवाह से पूर्व कुंडली मिलान बहुत जरूरी होता है। [मंगलनाथ पूजा उज्जैन]

दो लोगों का कुंडली मिलान करते समय सबसे पहले उनके गुणों का मिलाना करना होता है। किसी भी व्यक्ति की कुंडली में 8 प्रकार के गुणों का मिलान किया जाता है। ये गुण इन प्रकार के होते है - वर्ण, वश्य, तारा, योनि, गृह मैत्री, गण, भकूट और नाड़ी। विवाह में इन गणों का मिलान बहुत जरूरी होता है। गुण मिलान के बाद कुल 36 अंक होते है। लड़का और लड़की दोनों की कुंडली में 36 में से 18 मिलने पर शादी को सफल माना जाता है। सफल शादी के लिए 36 में से 18 गुणों का मिलना बहुत जरूरी माना जाता है। [ कालसर्प पूजा उज्जैन]

ज्योतिष के अनुसार आइए जानते हैं विवाह के लिए कितने गुण का मिलना शुभ होता है और कितने अशुभ:

18 या इससे कम गुण मिलने पर ज्यादातर विवाह के असफल होने की संभावना होती है।
जिस वर-वधु के कुंडली मिलान में 18-24 गुण मिलते हैं ऐसा विवाह सफल तो होता है लेकिन जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करने की संभावना ज्यादा होती है। जिस किसी के गुण मिलान में 24 से 32 गुण मिलते हों उनका विवाह सफल माना जाता है। [कालसर्प दोष निवारण पूजा उज्जैन]
अगर किसी के कुल 36 गुण मिलते हों उसकी शादी बहुत ही शुभ मानी जाती है और बिना कोई परेशानी के दोनों का जीवन बड़े सुख और समृद्धि से बीतता है। कुंडली मिलान क्यों जरूरी
विवाह पूर्व कुंडली मिलान से वर और वधु के नक्षत्र और ग्रह एक दूसरे के लिए अनुकूल है इस बारे में पता लगाया जाता है। अगर दोनों के ग्रह और नक्षत्र सही होते है तो वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। वहीं अगर दोनों के ग्रह-नक्षत्र प्रतिकूल होते हैं तो इनके जीवन में तमाम तरह की परेशानियां आती हैं। इसलिए ज्योतिष शास्त्र में विवाह पूर्व कुंडली मिलान की परंपरा होती है। [सर्प दोष पूजा उज्जैन]

कुंडली मिलान कैसे
कुंडली मिलान करते समय वर-वधु का नाम, जन्मतिथि, जन्मस्थान और जन्म का समय बताना होता है जिसके आधार पर दोनों की कुंडलियों का अध्ययन करके उनके वैवाहिक जीवन का आंकलन किया जाता है।

फ्री में कैसे करें कुंडली मिलान
हिन्दू परिवार में जब किसी लड़का या लड़की का विवाह तय होता है तो उसके पहले दोनों की जन्म कुंडली का मिलान किया जाता है। इस कुंडली मिलान से यह पता करने की कोशिश की जाती है कि दोनों का कुल 36 गुणों में से कितने गुण मिलते है। साथ ही दोनों के भाग्य और दुर्भाग्य का भी मिलान किया जाता है। अमर उजाला अपने पाठकों को बिना किसी शुल्क के भुगतान के शादी के बंधन में बंधने वाले जोड़ियों का कुंडली मिलान करने की सुविधा प्रदान कर रहा है। यहां पर वर-वधु का पूरा विवरण डालकर कुंडली मिलान किया जा सकता है। [Kaal sarp Puja Ujjain]

Monday, October 22, 2018

Famous Pandit in Ujjain

Pt Ramakant Ji is famous Pundit or you can pronounce Pandit Ji in Ujjain for Kaal Sarp Puja, Mangal Dosh Puja, Nav Grah Shanti Puja, Pitra Dosh Puja, Vastu Dosh Puja, Mahamrityunjay Jaap, 

Wednesday, October 17, 2018

Kaal Bhairav temple in Ujjain

pilgrimage-tour-packages-indiaUjjain is one of the holiest cities in India for the Hindus. Pilgrimage tour for any Hindu is not completed without a visit to Ujjain, as it the city of Mahakal. Ujjain is about 60 kilometers by road from Indore in central India. Indore is well connected to all major cities of India by rail and air, so we mension Indore here.

Ujjain is a well known city that is famous for temples. It also houses the world famous temple of Maha Kaal Shiv ji. But what we are concerned is the temple of Kaal Bhairov which is a form assumed by the great God Shiva when he is in a fierce mood.

Shiva in the form of Kaal Bhairov caters to the real ethos of life which has an obverse and negative side as well. It is the manifestation by Shiva of this form that brings Hindu religion so close to the real nature of man. Shiva as Kaal Bhairov wears a necklace of bones.

The temple itself is situated about 10 kilometers from the city centre and is easily reached. The origin of the temple is shrouded in antiquity. Outside the temple there are a lot many stalls that sell puja (worship) material like flowers, garlands and coconuts. In addition they also sell hard liquor.

This may appear a dichotomy to a western man visiting the temple, but Hinduism encompasses a vast horizon and serving liquor to the god Shiva in the form of Kaal Bhairov is something that is considered holy and desirable. It is recommended that you buy a bottle of good liquor along with the puja items and enter the temple barefoot.

The deity itself is situated in the centre of the temple after crossing a courtyard. One look at the deity will fill you in awe and in case you come as a believer then your wish and desire will certainly be fulfilled. You are expected to pay your obeisance to the God and hand over the puja items to the priest on duty.

He will break the coconut and adorn the garland around the deity and in addition he will pour the liquor in a flat plate and hold it to the lips of the deity. It will remain a wonder to observe that the liquor will slowly disappear from the plate. Worshipers believe that that the liquor is drunk by the God. It is a miracle indeed and one must visit the Kaal Bhairov temple to savor this phenomena.

Contact Famous Pandit in Ujjain for Mangal Puja UjjainKaal Sarp Dosh Puja in Ujjain and  Kaal sarp Puja Ujjain

Friday, September 28, 2018

जाने आपकी कुंडली में काल सर्प दोष है कि नहीं

कालसर्प एक ऐसा योग है जो जातक के पूर्व जन्म के किसी जघन्य अपराध के दंड या शाप के फलस्वरूप उसकी जन्मकुंडली में परिलक्षित होता है। व्यावहारिक रूप से पीड़ित व्यक्ति आर्थिक व शारीरिक रूप से परेशान तो होता ही है, मुख्य रूप से उसे संतान संबंधी कष्ट होता है। या तो उसे संतान होती ही नहीं, या होती है तो वह बहुत ही दुर्बल व रोगी होती है। उसकी रोजी-रोटी का जुगाड़ भी बड़ी मुश्किल से हो पाता है। धनाढय घर में पैदा होने के बावजूद किसी न किसी वजह से उसे अप्रत्याशित रूप से आर्थिक क्षति होती रहती है। तरह तरह के रोग भी उसे परेशान किये रहते हैं।

जब राहु के साथ चंद्रमा लग्न में हो और जातक को बात-बात में भ्रम की बीमारी सताती रहती हो, या उसे हमेशा लगता है कि कोई उसे नुकसान पहुँचा सकता है या वह व्यक्ति मानसिक तौर पर पीड़ित रहता है।
जब लग्न में मेष, वृश्चिक, कर्क या धनु राशि हो और उसमें बृहस्पति व मंगल स्थित हों, राहु की स्थिति पंचम भाव में हो तथा वह मंगल या बुध से युक्त या दृष्ट हो, अथवा राहु पंचम भाव में स्थित हो तो संबंधित जातक की संतान पर कभी न कभी भारी मुसीबत आती ही है, अथवा जातक किसी बड़े संकट या आपराधिक मामले में फंस जाता है।

  • जब कालसर्प योग में राहु के साथ शुक्र की युति हो तो जातक को संतान संबंधी ग्रह बाधा होती है।
  • जब लग्न व लग्नेश पीड़ित हो, तब भी जातक शारीरिक व मानसिक रूप से परेशान रहता है।
  • चंद्रमा से द्वितीय व द्वादश भाव में कोई ग्रह न हो। यानी केंद्रुम योग हो और चंद्रमा या लग्न से केंद्र में कोई ग्रह न हो तो जातक को मुख्य रूप से आर्थिक परेशानी होती है।
  • जब राहु के साथ बृहस्पति की युति हो तब जातक को तरह-तरह के अनिष्टों का सामना करना पड़ता है।
  • जब राहु की मंगल से युति यानी अंगारक योग हो तब संबंधित जातक को भारी कष्ट का सामना करना पड़ता है।
  • जब राहु के साथ सूर्य या चंद्रमा की युति हो तब भी जातक पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, शारीरिक व आर्थिक परेशानियाँ बढ़ती हैं।
  • जब राहु के साथ शनि की युति यानी नंद योग हो तब भी जातक के स्वास्थ्य व संतान पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, उसकी कारोबारी परेशानियाँ बढ़ती हैं।
  • जब राहु की बुध से युति अर्थात जड़त्व योग हो तब भी जातक पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, उसकी आर्थिक व सामाजिक परेशानियाँ बढ़ती हैं।
  • जब अष्टम भाव में राहु पर मंगल, शनि या सूर्य की दृष्टि हो तब जातक के विवाह में विघ्न, या देरी होती है।
  • यदि जन्म कुंडली में शनि चतुर्थ भाव में और राहु बारहवें भाव में स्थित हो तो संबंधित जातक बहुत बड़ा धूर्त व कपटी होता है। इसकी वजह से उसे बहुत बड़ी विपत्ति में भी फंसना पड़ जाता है।
  • जब लग्न में राहु-चंद्र हों तथा पंचम, नवम या द्वादश भाव में मंगल या शनि अवस्थित हों तब जातक की दिमागी हालत ठीक नहीं रहती। उसे प्रेत-पिशाच बाधा से भी पीड़ित होना पड़ सकता है।
  • जब दशम भाव का नवांशेश मंगल/राहु या शनि से युति करे तब संबंधित जातक को हमेशा अग्नि से भय रहता है और अग्नि से सावधान भी रहना चाहिए।
  • जब दशम भाव का नवांश स्वामी राहु या केतु से युक्त हो तब संबंधित जातक मरणांतक कष्ट पाने की प्रबल आशंका बनी रहती है।
  • जब राहु व मंगल के बीच षडाष्टक संबंध हो तब संबंधित जातक को बहुत कष्ट होता है। वैसी स्थिति में तो कष्ट और भी बढ़ जाते हैं जब राहु मंगल से दृष्ट हो।
  • जब लग्न मेष, वृष या कर्क हो तथा राहु की स्थिति 1ले 3रे 4थे 5वें 6ठे 7वें 8वें 11वें या 12वें भाव में हो। तब उस स्थिति में जातक स्त्री, पुत्र, धन-धान्य व अच्छे स्वास्थ्य का सुख प्राप्त करता है।
  • जब राहु छठे भाव में अवस्थित हो तथा बृहस्पति केंद्र में हो तब जातक का जीवन खुशहाल व्यतीत होता है।
  • जब राहु व चंद्रमा की युति केंद्र (1ले 4थे 7वें 10वें भाव) या त्रिकोण में हो तब जातक के जीवन में सुख-समृद्धि की सारी सुविधाएं उपलब्ध हो जाती हैं।
  • जब शुक्र दूसरे या 12वें भाव में अवस्थित हो तब जातक को अनुकूल फल प्राप्त होते हैं।
  • जब बुधादित्य योग हो और बुध अस्त न हो तब जातक को अनुकूल फल प्राप्त होते हैं।
  • जब लग्न व लग्नेश सूर्य व चंद्र कुंडली में बलवान हों साथ ही किसी शुभ भाव में अवस्थित हों और शुभ ग्रहों द्वारा देखे जा रहे हों। तब कालसर्प योग की प्रतिकूलता कम हो जाती है।
  • जब दशम भाव में मंगल बली हो तथा किसी अशुभ भाव से युक्त या दृष्ट न हो। तब संबंधित जातक पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता।
  • जब शुक्र से मालव्य योग बनता हो, यानी शुक्र अपनी राशि में या उच्च राशि में केंद्र में अवस्थित हो और किसी अशुभ ग्रह से युक्त अथवा दृष्ट न हो रहा हो। तब कालसर्प योग का विपरत असर काफी कम हो जाता है।
  • जब शनि अपनी राशि या अपनी उच्च राशि में केंद्र में अवस्थित हो तथा किसी अशुभ ग्रह से युक्त या दृष्ट न हों। तब काल सर्प योग का असर काफी कम हो जाता है।
  • जब मंगल की युति चंद्रमा से केंद्र में अपनी राशि या उच्च राशि में हो, अथवा अशुभ ग्रहों से युक्त या दृष्ट न हों। तब कालसर्प योग की सारी परेशानियां कम हो जाती हैं।
  • जब राहु अदृश्य भावों में स्थित हो तथा दूसरे ग्रह दृश्य भावों में स्थित हों तब संबंधित जातक का कालसर्प योग समृध्दिदायक होता है।
  • जब राहु छठे भाव में तथा बृहस्पति केंद्र या दशम भाव में अवस्थित हो तब जातक के जीवन में धन-धान्य की जरा भी कमी महसूस नहीं होती।